Monday, September 16, 2024
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कोलकाता कांड के बाद आरजी कर मेडिकल कॉलेज में पसरा सन्नाटा, सदमे में छात्राओं ने छोड़ा हॉस्टल

कोलकाता में जूनियर डॉक्टर के साथ हुए रेप और हत्या के बाद अब वहां की स्टूडेंट्स सकते में हैं। डर की वजह से कई महिला डॉक्टरों ने परिसर छोड़ दिया है। जूनियर डॉक्टरों के मुताबिक नर्सिंग हॉस्टल के अलावा आरजी कर मेडिकल कॉलेज के लगभग सभी छात्रावास खाली हो चुके हैं। 9 अगस्त के बाद यहां की छात्राएं डरी हुई हैं और तब से हॉस्टल खाली करने का सिलसिला जारी है। आरजी कर अस्पताल परिसर में महिला डॉक्टरों और छात्राओं के लिए पांच छात्रावास हैं। 22 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में प्रदर्शनकारी डॉक्टरों की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अपराजिता सिंह ने कहा था कि 14 अगस्त की तोड़फोड़ के बाद करीब 700 रेजिडेंट डॉक्टरों में से केवल 30-40 महिला डॉक्टर और 60-70 पुरुष डॉक्टर ही परिसर में रह रहे थे।

एक रिपोर्ट के मुताबिक पूरे परिसर में सन्नाटा पसरा हुआ है। आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एमबीबीएस की एक चौथे वर्ष की छात्रा ने बताया, “हमारे हॉस्टल में अब सिर्फ 17 महिलाएं हैं। 9 अगस्त से पहले यहां अलग अलग कोर्सेज की 160 जूनियर महिला डॉक्टर रहती थीं।” 9 अगस्त को जूनियर डॉक्टर का शव संस्थान के सेमिनार रूम में मिलने के बाद हड़कंप मच गया था और इस घटना के बाद छात्राएं डरी हुई थी लेकिन 14 अगस्त की रात को उपद्रवियों ने अस्पताल पर हमला कर दिया। इस हमले के बाद माहौल और बिगड़ गया और हॉस्टल खाली होने लगे।

अस्पताल में उपद्रव के बाद और बिगड़ा माहौल

एक अन्य एमबीबीएस छात्रा ने बताया, “हम उस रात (14 अगस्त) इतने डरे हुए थे कि हम इसे बयां नहीं कर सकते। यहां विरोध करने आई कई महिला नर्स और डॉक्टर भीड़ के हमला करने पर हमारे हॉस्टल की ओर भागीं और हमारे साथ रात भर रुकीं। हममें से कोई भी उस रात नहीं सोया।” इस घटना पर संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार से तीखे सवाल किए। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि जब अस्पताल में भीड़ जमा हो गई, प्रदर्शनकारियों पर हमला किया और परिसर में तोड़फोड़ की उस वक्त पुलिस क्या कर रही थी? इसके बाद कोर्ट ने अस्पताल की सुरक्षा के लिए सीआईएसएफ को तैनात करने निर्देश दिया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब कैंपस में 150 सीआईएसएफ कर्मियों को तैनात किया गया है। कोलकाता पुलिस के मुताबिक इस हिंसा के सिलसिले में अब तक 37 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।

‘वहां कैसे काम करे जहां एक तरह बलात्कारी हों…’

मेडिकल छात्राओं ने कहा कि कुछ लोग अपने हॉस्टल लौट सकते हैं लेकिन अभी कुछ तय नहीं हैं। पुरुलिया की एक एमबीबीएस छात्रा ने कहा, “अस्पताल में सीआईएसएफ कर्मियों को तैनात किया गया है। अब हम काफी सुरक्षित महसूस कर रहे हैं। लेकिन जब तक जांच एजेंसी सभी दोषियों को गिरफ्तार नहीं कर लेती तब तक हम पूरी तरह सुरक्षित कैसे महसूस करेंगे? मैं अस्पताल में काम नहीं करना चाहती जहां मेरे बगल में बलात्कारी और हत्यारे खड़े हों।”

नसों के पास कोई विकल्प नहीं

दूसरी तरफ नर्सों ने कहा कि वे डरी हुई हैं लेकिन उनके पास हॉस्टल में रहने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। एक 42 वर्षीय नर्स ने कहा, “डॉक्टर अपनी ड्यूटी छोड़ सकते हैं या पुरुष डॉक्टर महिला सहकर्मी की ड्यूटी कर सकते हैं लेकिन हमारे पास कोई विकल्प नहीं है। आरजी कर मेडिकल कॉलेज परिसर में दो नर्सिंग हॉस्टल हैं। सभी लगभग भरे हुए हैं क्योंकि हमें अपना काम करना है। ऐसी भयानक घटना के बाद भी हम रात की ड्यूटी कर रहे हैं और कभी-कभी हम वार्ड में अकेले होते हैं। हम सच में असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। ”

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