नई दिल्ली: मोदी 3.0 के लिए शपथ ग्रहण हो चुका है और नए मंत्रियों को विभाग भी आवंटित किए जा चुके हैं. अब सत्तारूढ़ बीजेपी के सामने दो प्रमुख कार्य हैं – लोकसभा के लिए नए अध्यक्ष का चुनाव करना और पार्टी प्रमुख का नाम तय करना. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा जिन्होंने नरेंद्र मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान स्वास्थ्य मंत्री का कार्यभार संभाला था, को एक बार फिर मंत्रीमंडल में जगह दी गई है. अब उनके पास स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के साथ-साथ रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय का प्रभार है.
नए बीजेपी अध्यक्ष को जमीनी स्तर पर काम करना होगा क्योंकि इस साल के अंत में जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, झारखंड और महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव होने हैं. बीजेपी के एजेंडे का दूसरा काम लोकसभा अध्यक्ष के लिए एनडीए की पसंद को अंतिम रूप देना है. एन चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी और नीतीश कुमार की जेडीयू, बीजेपी के मुख्य सहयोगी हैं जिनका समर्थन सरकार के बहुमत के लिए जरूरी है. ऐसे में टीडीपी और जेडीयू दोनों की नजर इस पद पर टिकी हुई है.
गठबंधन की सरकार में जब भी कोई पार्टियों के बीच आपसी सहमति न बनने के कारण, सरकार गिरने की कगार पर आ जाती है तो ऐसी स्थिति में लोकसभा स्पीकर को अधिकार प्राप्त होते हैं. इतना ही नहीं लोकसभा में जब भी कोई मामला फंसता है तो भी अंतिम वोट लोकसभा स्पीकर का ही होता है. ऐसे में लोकसभा स्पीकर का पद किसी भी सरकार के लिए बहुत अहम होता है. इस वजह से टीडीपी और जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू दोनों राजनीति के दिग्गज चाहते हैं कि ऐसी किसी भी स्थिति में लोकसभा स्पीकर का पद ढाल के रूप में काम करे.
हालांकि, बीजेपी के सूत्रों ने कहा है कि वो अध्यक्ष पद किसी और को सौंपने की इच्छा नहीं रखते हैं लेकिन इस बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है. ऐसे में इस महत्वपूर्ण पद के लिए आंध्र प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष डी पुरंदेश्वरी का नाम चर्चा में है. डी पुरंदेश्वरी पूर्व मुख्यमंत्री और दिग्गज अभिनेता एनटी रामा राव की बेटी और नायडू की भाभी हैं. उनके पति दग्गुबाती वेंकटेश्वर राव पूर्व कांग्रेस सांसद और विधायक हैं, जो बाद में वाईएसआर कांग्रेस में शामिल हो गए थे.
डी पुरंदेश्वरी पहली बार कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा के लिए चुनी गईं थीं और मनमोहन सिंह सरकार में वह केंद्रीय मंत्री भी रह चुकी हैं. उन्होंने आंध्र प्रदेश से तेलंगाना राज्य बनाने के यूपीए सरकार के फैसले के विरोध में कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था. वह 2014 में बीजेपी में शामिल हुई थीं और तब से वह राज्य में बीजेपी अध्यक्ष का कार्यभार संभाल रही हैं.
तीन बार की सांसद को मोदी 3.0 कैबिनेट में जगह नहीं मिलने से कई लोग हैरान हैं और अटकलें लगाई जा रही हैं कि वह लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए बीजेपी की पसंद हो सकती हैं. मोदी 2.0 के दौरान खाली रहने वाला एक और पद लोकसभा उपाध्यक्ष का है. पहली नरेंद्र मोदी सरकार के दौरान, उस समय भाजपा की सहयोगी पार्टी एआईएडीएमके के एम थंबीदुरई को इस पद के लिए नामित किया गया था. सवाल यह है कि क्या भाजपा इस पद को अपने पास रखेगी या अपने सहयोगी दलों में से किसी को देगी.