नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 साल पहले 2 अक्टूबर को गांधी जयंती के खास मौके पर स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत की थी और आज इस मिशन को 10 साल पूरे हो गए हैं. इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी काफी भावुक हो उठे. उन्होंने कहा कि स्वच्छ भारत मिशन लोगों को साथ लेकर आया है. इस मिशन के तहत लाखों-लाख लोग सफाई अभियान से जुड़ते चले गए. किसी ने अपनी बकरियां बेचकर शौचालय बनवाया तो किसी फौजी ने अपनी पैंशन स्वच्छता मिशन के लिए दान दे दी. तो चलिए 10 प्वॉइंट्स में जानते हैं कि पीएम मोदी ने इस खास मौके पर क्या कहा
आज मैं भावुक हूं…: 2 अक्तूबर के दिन मैं कर्तव्यबोध से भी भरा हुआ हूं और उतना ही भावुक भी हूं. आज स्वच्छ भारत मिशन की यात्रा ने 10 साल के मुकाम को हासिल कर लिया है. स्वच्छ भारत मिशन की यात्रा करोड़ों भारतीयों की प्रतिबद्धता का प्रतीक है. कोटि कोटि भारतीयों ने इसे अपने जीवन की हिस्सा बनाया है.
हम मिलकर भारत को स्वच्छ बनाएंगेः आज देशभर में स्वच्छता से जुड़े कार्यक्रम हो रहे हैं. लोग अपने गांव, मोहल्लों, शहरों, चाल, फ्लैट्स, सोसाइटीज की बड़े आग्रह के साथ सफाई कर रहे हैं. मंत्री और दूसरे जनप्रतिनिधि भी कार्यक्रम का हिस्सा बन रहे हैं. सेवा पखवाड़े के 15 दिनों में देशभर में 27 लाख से ज्यादा कार्यक्रम हुए हैं. निरंतर प्रयास करके ही हम अपने भारत को स्वच्छ बना सकते हैं.
हजार साल बाद भी…: स्वच्छ भारत मिशन को एक नई ऊंचाई पर ले जाना है. स्वच्छ भारत मिशन जितना सफल होगा, उतना ही हमारे देश ज्यादा चमकेगा. आज से एक हजार साल भी जब 21वीं सदी के भारत का अध्ययन होगा, तो उसमें स्वच्छ भारत अभियान को जरूर याद किया जाएगा.
स्वच्छता के लिए 10,000 करोड़ के प्रोजेक्ट्स: आज के इस महत्वपूर्ण पड़ाव पर स्वच्छता से जुड़े 10,000 करोड़ प्रोजेक्ट की शुरुआत हुई है. मिशन अमृत के तहत वॉटर और सीवरेज प्लांट बनाए जाएंगे. नमामी गंगे से जुड़ या कचरे से गोबर गैस बनाने वाले प्लांट बनाए जाएंगे. स्वच्छ भारत मिशन जितना सफल होगा उतना ही हमारा देश चमकेगा. आज से 1000 साल बाद भी 21वीं सदी के भारत का अध्ययन होगा तो उसमें स्वच्छ भारत अभियान को जरूर याद किया जाएगा.
स्वच्छ भारत दुनिया का सबसे बड़ा जन आंदोलन: स्वच्छ भारत इस सदी में दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे सफल जन भागीदारी वाला जन आंदोलन है. इस मिशन ने मुझे जनता जनार्धन की साक्षात ऊर्जा के दर्शन कराए हैं. आज मुझे इतना कुछ याद आ रहा है. यह अभियान शुरू हुआ और कैसे लाखों-लाख लोग एक साथ सफाई करने के लिए निकल पड़ते थे. शादी से लेकर सार्वजनिक कार्यक्रम तक हर जगह स्वच्छता का संदेश छा गया.
स्वच्छता के वे गुमनाम सिपाहीः कहीं कोई बूढ़ी मां अपनी बकरियां बेचकर शौचालय बनाने की मुहिम से जुड़ी. किसी ने अपना मंगलसूत्र बेच दिया. तो किसी ने शौचालय बनाने के लिए जमीन दान कर दी. वहीं किसी रिटायर्ड टीचर ने अपनी पेंशन दान दे दी. कहीं किसी फौजी ने रिटायरमेंट के बाद मिले पैसे स्वच्छता के लिए दान कर दिए. अगर यह दान किसी मंदिर या किसी और समारोह में दिया होता, तो अखबारों की हेडलाइन बन जाता और सप्ताह भर उसकी चर्चा होती. लेकिन देश को पता होना चाहिए कि जिनका चेहरा कभी टीवी पर चमका नहीं है, जिनका नाम अखबारों की सुर्खियों में कभी छपा नहीं है, ऐसे लोगों ने इस आंदोलन को नई ताकत दी है.
मिशन पीड़ा की कोख से पैदा होने वाला कभी मरता नहीं : देखते ही देखते करोड़ों भारतीयों ने कमाल कर के दिखाया. देश में 12 करोड़ से अधिक टॉयलेट बनाए. स्वच्छ भारत मिशन से देश के आम जन के जीवन पर जो प्रभाव पड़ा है वो अनमोल है. एक स्टडी में सामने आया है कि स्वस्छ भारत मिशन से हर वर्ष 60 से 70 हजार बच्चों का जीवन बच रहा है.
लाखों की संख्या में चिठ्ठियां भेजते हैं : देशवासियों की इस उपलब्धि को देखते हुए मन में यह सवाल आ रहा है कि जो आज हो रहा है वो पहले क्यों नहीं हुआ. स्वच्छता का रास्ता महात्मा गांधी ने हमें आजादी के आंदोलन में दिखाया भी था और सिखाया भी था लेकिन ऐसा क्या हुआ कि आजादी के बाद स्वच्छता पर ध्यान नहीं दिया गया.
स्वस्छता को देश की समस्या माना नहीं : पिछले सरकार ने देश की स्वच्छता को समस्या माना ही नहीं उन्होंने इसे ही सच्चाई मान ली. मुझे तो इसके लिए ताना भी दिया गया कि शौचालय और साफ सफाई की बात करना भारत के प्रधानमंत्री का काम नहीं है लेकिन इस मुहीम ने चीजों को बदल दिया.
भारत के प्रधानमंत्री का पहला काम… वही है, जिससे देशवासियों का सामान्य जीवन आसान हो. मैंने अपना दायित्व समझ कर टॉयलेट्स की बात की, सैनिटरी नैप्किन की बात की और इसका असर भी हम देख रहे हैं.