हाथरसः हाथरस भगदड़ मामले की रिपोर्ट न्यायिकआयोग ने राज्य सरकार को सौंप दी है। राज्य मंत्रिमंडल ने रिपोर्ट विधानसभा में पेश करने को मंजूरी भी दे ही है। रिपोर्ट को चालू बजट सत्र में सदन में पेश किए जाने की संभावना है। न्यायिक आयोग ने भगदड़ के लिए किसे दोषी ठहराया और किसे क्लीनचिट दी है। इसकी जानकारी अभी तक आधिकारिक तौर पर सामने नहीं आई है। सत्संग में हुई भगदड़ में 121 लोगों की मौत हो गई थी। सरकार ने घटना की न्यायिक जांच कराने का आदेश दिया था।
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भगदड़ में बच्चों और महिलाओं समेत 121 लोगों की गई थी जान
दरअसल, हाथरस में 2 जुलाई, 2024 को स्वयंभू बाबा भोले बाबा उर्फ सूरज पाल के ‘सत्संग’ में भगदड़ मचने से महिलाओं और बच्चों समेत करीब 121 लोगों की मौत हो गई थी। यह घटना जिले के फुलारी गांव में हुई थी। रिपोर्टों के अनुसार, इस कार्यक्रम में दो लाख से अधिक भक्तों की भीड़ जुटी थी, जबकि केवल 80,000 लोगों के उपस्थित होने की अनुमति दी गई थी।
11 लोगों के खिलाफ 3200 पन्नों की चार्जशीट
उत्तर प्रदेश पुलिस ने हाथरस में भगदड़ की घटना से संबंधित 11 लोगों के खिलाफ 3200 पन्नों की चार्जशीट तैयार की है। हालांकि, बचाव पक्ष के वकील एपी सिंह के अनुसार, आरोपपत्र में सूरज पाल उर्फ भोले बाबा का जिक्र नहीं है, जिन्होंने हाथरस में ‘सत्संग’ आयोजित किया था। 12 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने हाथरस भगदड़ की घटना की जांच के लिए शीर्ष अदालत के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की निगरानी में पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति नियुक्त करने के निर्देश देने की मांग वाली जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।
हाथरस भगदड़ मामले में न्यायिक आयोग ने सरकार को सौंपी जांच रिपोर्ट, किसे ठहराया जिम्मेदार?
याचिका में की गई थी ये मांग
याचिका में उत्तर प्रदेश सरकार को हाथरस भगदड़ की घटना पर शीर्ष अदालत के समक्ष स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत करने और लापरवाही बरतने वाले व्यक्तियों, अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू करने का निर्देश देने की मांग की गई थी। याचिका में शीर्ष अदालत से सभी राज्य सरकारों को निर्देश देने के लिए कहा गया था कि वे किसी भी धार्मिक आयोजन या अन्य आयोजन के दौरान जनता की सुरक्षा के लिए भगदड़ या अन्य घटनाओं को रोकने के लिए दिशा-निर्देश जारी करें, जहां बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा होते हैं।