नई दिल्ली : भारत में एमपॉक्स यानी मंकीपॉक्स पर नियंत्रण के लिए जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। इसके तहत देश में टेस्टिंग किट बनाए जाने की तैयारी शुरू हो गई है। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने एमपॉक्स का पता लगाने के लिये तीन स्वदेशी टेस्टिंग किट के निर्माण को मंजूरी दी है। इन टेस्टिंग किट्स को सीमेंस हेल्थकेयर, ट्रांसएशिया डायग्नोस्टिक्स और जेआईटीएम सी जीन द्वारा डेवलप किया जा रहा है। स्वास्थ्य मंत्रायल के एक अधिकारी ने कहा कि ये आरटी-पीसीआर किट वायरस की जांच के लिए पॉक्स के चकत्ते से तरल पदार्थ के नमूनों का इस्तेमाल करते हैं। उन्होंने बताया कि इन किट्स को आईसीएमआर द्वारा मान्य किया गया था। हालांकि किट की कॉमर्शियल मैन्यूफैक्चरिंग नहीं होगी, क्योंकि इसकी कोई जरूरत नहीं है।
यह तीनों स्वीकृत टेस्टिंग किट्स उन छह किटों में हैं, जिन्हें आईसीएमआर द्वारा वायरल संक्रमण का पता लगाने के लिए मान्यता दी गई है। 2022 में भारत में पहली बार एमपॉक्स के मामले सामने आने के बाद आईसीएमआर ने कंपनियों से डायग्नोस्टिक्स और वैक्सीन डेवलप करने का आह्वान किया था। टेस्टिंग किट्स के अप्रूवल का यह प्रॉसेस डब्लूएचओ द्वारा एमपॉक्स को ग्लोबल इमरजेंसी घोषित करने के ऐलान के बाद शुरू हुआ है। इससे पहले जुलाई 2022 से मई 2023 के बीच भी एमपॉक्स केसेज काफी ज्यादा बढ़े थे। तब भी इसको ग्लोबल इमरजेंसी घोषित किया गया था। भारत में 2022 से अब तक एमपॉक्स के 30 मामले दर्ज हुए हैं। इनमें मार्च 2024 में सबसे ज्यादा हैं।
बता दें कि शुरू में यह संक्रमण इंटरनेशनल ट्रैवेलिंग करने वालों में ही पाया गया था। हालांकि बाद में अन्य लोगों में भी इसके लक्षण मिलने लगे। गौरतलब है कि देश में एमपॉक्स को लिए वैक्सीन भी तैयार की जा रही है। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के मुताबिक वह इस दिशा में काम कर रहा है। इसके सकारात्मक परिणाम एक वर्ष में मिलने की उम्मीद है। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अदार पूनावाला ने एक बयान में कहा कि एमपॉक्स प्रकोप के कारण घोषित वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल के मद्देनजर, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया इस बीमारी के लिए एक टीका विकसित करने पर काम कर रहा है, ताकि लाखों लोगों के जीवन को बचाया जा सके।