नई दिल्ली : संगीत की दुनिया में तबले की एक बेमिसाल थाप शांत हो गई है। दुनियाभर में तबला वादन के लिए मशहूर पंजाब घराने के उस्ताद जाकिर हुसैन का अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में एक अस्पताल में ह्रदय संबंधी समस्याओं के चलते निधन हो गया। 11 साल की उम्र में ही जाकिर हुसैन की उंगलियां तबले पर यूं मचलने लगी थीं कि लोग उनके वादन के दीवाने हो जाते थे। केवल 12 साल की उम्र में ही वह अमेरिका में पहला कन्सर्ट करने पहुंच गया थे। उनके पिता उस्ताह अल्लाह रक्खा कुरैशी मशहूर तबला वादक थे।
जाकिर हुसैन का जन्म 9 मार्च 1951 को मुंबई में हुआ था। उनकी शुरुआती शिक्षा मुंबई के माहिम में सेंट माइकल स्कूल से हुई। इसके बाद ग्रेजुएशन सेंट जेवियर्स कॉलेज से किया। बचपन से ही संगीत के प्रति उनका लगाव था। उनका पहला एल्बम ‘लिविंग इन द मटीरियल वर्ल्ड’रिलीज हुआ जिसने उन्हें काफी पहचान दिलवाई।
एक ही रात में जीते तीन ग्रैमी अवॉर्ड
जाकिर हुसैन के पहले गुरु पिता अल्ला रक्खा ही थे। इसके बाद उन्होंने उस्ताद विलायत हुसैन खान औऱ उस्ताद लतीफ अहमद से भी तबले की तालीम ली। जाकिर हुसैन ने खुद एक इंटरव्यू में बताया था कि भले ही उन्होंने दुनियाभर में तबले की वजह से करोड़ों रुपये कमाए हों लेकिन पहले कार्यक्रम में जो उन्हें पांच रुपये मिले थे, वे आज भी उनके लिए कीमती हैं। जाकिर हुसैन ने बैंड शक्ति शुरू किया था। 2023 में 4 फरवरी को 66वें ग्रैमी अवॉर्ड्स में उन्हें एक ही रात में तीन ग्रैमी अवॉर्ड मिले। वह ऐसा कमाल करने वाले पहले भारतीय थे।
सबसे कम उम्र में पद्मश्री
जाकिर हुसैन को 1988 में पद्मश्री से नवाजा गया था। वह पद्मश्री पाने वाले सबसे कम उम्र के नौजवान थे। इसके बाद 1990 में संगीत नाटक अकैडमी अवॉ्रड से उन्हें सम्मानित किया गया। उनके एल्बम प्लानेट ड्रम को ग्रैमी अवॉर्ड मिला। 2002 में उन्हें पद्मभूषण से सम्मानित किया गया। 2006 में कालीदास सम्मान और 2009 में उनके एक और एल्बम को ग्रैमी अवॉर्ड दिया गया। 2023 में उन्हें पद्म विभूषण से नवाजा गया।
वाइट हाउस भी था कला का मुरीद
12 साल की उम्र में ही उस्ताद जाकिर हुसैन ने अमेरिका जाकर पर्फॉर्म किया था। बताया जाता है कि ट्रेन में सफर के दौरान जब उन्हें सीट नहीं मिलती थी तब तबले को गोद में रखकर फर्श पर भी सो जाया करते थे। लेकिन तबले को फर्श पर नहीं रखते थे। 2026 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने उ्हें ऑल स्टार ग्लोबल कॉन्सर्ड में भाग लेने के लिए वाइट हाउस में आमंत्रित किया था। वह पहले भारतीय संगीतकार थे जिन्हें यह आमंत्रण मिला था।